Chronological order वंशो का कालानुक्रम
इतिहास में प्राचीन भारत के वंशो का कालानुक्रम
TRICK: हशीनमाशुका = ह + शि + न + मा + शु + क + अ
TRICK: हशीनमाशुका = ह + शि + न + मा + शु + क + अ
- ह = हर्यक वंश
- शि = शिशुनाग वंश
- न = नन्द वंश
- मा = मौर्या वंश
- शु = शुंग वंश
- क = कण्व वंश
- अ = आंध्र सातवाहन
- हर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू. में बिम्बिसार के द्वारा की गई। इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में मगध का सर्वप्रथम उदय हुआ। बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- शिशुनाग ने मगध से बंगाल की सीमा से मालवा तक विशाल भू-भाग पर अधिकार कर लिया। शिशुनाग एक शक्तिशाली शासक था जिसने गिरिव्रज के अलावा वैशाली नगर को भी अपनी राजधानी बनाया।
- मौर्य वंश का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने अश्वमेध यज्ञ किया था।
- शुंग वंश के अन्तिम शासक देवभूति के मन्त्रि वसुदेव ने उसकी हत्या कर सत्ता प्राप्त कर कण्व वंश की स्थापना की। कण्व वंश ने ७५इ.पू. से ३०इ.पू. तक शासन किया। वसुदेव पाटलिपुत्र के कण्व वंश का प्रवर्तक था।
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